लबों को सी के, आंखों को झुकाए हुए
इस दश्त में चल रहे हैं ख़ुद से पराये हुए
कभी खुदा कभी अपनों की कभी ख़ुद की याद आती है
यह कैसी दौड़ है कि हम ख़ुद से है शरमाये हुए
ज़ुबां संभाल ओ काफ़िर कि यह रास्ते ठीक नही
खुदा के नाम पर इंसान मिटाए जाते हैं
तेरी आवारगी के आलम कुछ यूँ हैं
मील के पथ्थरों पर तेरे नाम पाए जाते हैं,
मुनासिब हो अगर मेरा खप जाना, दुआ कर कि यह आखिरी हरक़त हो
इस हश्र पर मुमकिन है कि कुछ कसीदे आ जाए, कुछ शरमाते, कुछ सकुचाये हुए
बुलंद रहे यह मौसिकी और इसके खयालों की ताज़गी, कलम को इंतज़ार रहेगा
शहीद हो चुके हैं कितने ख़यालात, कुछ निब के नीचे दबते, kuch .....hell ! Typing in hindi sucks big time, this has to be one of the most user un-friendly applications ever, they could have asked us to get a hindi keyboard and practice shusha or mangal fonts for that matter !
But I shall try again...another day another time, when patience stands by me and flow of thoughts is not hampered by gtalk going tak tak tak or blogger simply refusing to co-operate :-(
3 comments:
sahi hai chote,english ko hindi mein convert karna is like we r typing wrong words :)btw ab ias ke baad kya aap ias officer hi bane rahenge taa umar yaa abhi kuch aur karane ki pyaas baki hai;ab sirf :-) isa type bas mat kar dena :)
Long time..no post.
kaafi acha likha hai :)
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